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🙏सभी को दीपावली की शुभकामनाएं 🙏
*सोसाइटी फॉर टीचर्स कॉज(रजि),दिल्ली*
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सम्मानित शिक्षक साथियो 🙏
सर्व प्रथम सभी शिक्षक साथियों को दीपोत्सव पर्व के पावन अवसर पर हृदय तल से मंगलमय जगमगाती हुई शुभकामनाएं।🎉
भारत मे सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों की सबसे बडी संस्था GSTA दिल्ली के चुनाव को नौ वर्ष हो चुके हैं लेकिन दिल्ली के शिक्षकों को वर्तमान GSTA ने शिक्षक हित में कोई सकारात्मक परिणाम नहीं दिया है। हाँ वर्तमान GSTA ने चिट्ठियाँ बहुत लिखी हैं और उन चिट्ठियों को लिखने मात्र को ही वर्तमान GSTA अपनी उपलब्धि मान रही है। बीते वर्षों मे वर्तमान GSTA ने अपनी अनुभवहीनता औऱ अदूरदर्शिता से शिक्षक समाज की गरिमा को जो आघात पहुँचाया है उसकी भरपाई करना बेहद मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है। विगत नौ वर्षों में वर्तमान GSTA के कारनामों से शिक्षकों को जो आर्थिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक नुकसान हुआ है,उसकी बडी लंबी फेहरिस्त है।उनमें से कुछ अधोलिखित है-
**वर्तमान GSTA ने हाई कोर्ट में दाखिल *18460* के केस की पैरवी नहीं की।
*जिसकी पैरवी तत्कालीन GSTA *(SFTC)* ने सन् 2011 से सन् 2014 तक CAT में बेहद शिद्दत के साथ की। CAT में सफलता न मिलने पर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।चूँकि केस GSTA के नाम से लडा जा रहा था इसलिए तत्कालीन GSTA*(SFTC)* ने केस की फाइल वर्तमान GSTA के सुपुर्द कर दी। अहंकार में डूबी वर्तमान GSTA ने केस की पैरवी करना अपनी बेइज्जती समझा और निश्चित समय के बाद केस समाप्त हो गया।
यदि वर्तमान GSTA ने नेक नीयत के साथ केस की पैरवी की होती, तो आज दिल्ली के head clerks की तर्ज पर शिक्षक भी 18460 ले रहे होते।
* तत्कालीन GSTA(SFTC) द्वारा शुरू की गई DGEHS सुविधा (जीवन दायिनी सुविधा) में भी वर्तमान GSTA ने अभी तक कैशलैस स्कीम लागू नहीं कराई है जिसके कारण शिक्षकों को N.A. कराने के लिए आज भी डिस्पेंसरी जाना पड़ता है।
वर्तमान GSTA की नाकामी के कारण मेडिकल बजट भी निर्गत नही हो पा रहा है। शिक्षको के मेडिकल बिल्स का महीनो से रियंबर्समेंट नही हो पा रहा है।
वर्तमान GSTA ने PFC में हो रही अनियमितताओं पर, RRs में बदलाव पर मौन व्रत धारण कर लिया है।
* सीबीएसई टर्म -2 (2021-22) की परीक्षा की कॉपियों का मूल्यांकन किए 6 माह से अधिक हो गए है।लेकिन वर्तमान GSTA की सुस्ती के कारण शिक्षकों की मेहनत का पारिश्रमिक अभी तक सी बी एस ई द्वारा जारी नहीं किया गया है। तत्कालीन GSTA(SFTC) के कार्यकाल में शिक्षको की मेहनत का पारिश्रमिक 15-20 दिन के अंदर मिल जाता था।
* तत्कालीन GSTA(SFTC) ने प्रमोशन का प्रवाह बनाए रखने के लिए प्रत्येक विद्यालय में दो-दो वाइस प्रिंसिपल की पोस्ट 100 प्रतिशत प्रमोशन के साथ निर्मित कराई थी लेकिन विभाग ने नए RRs में 50 प्रतिशत UPSC को डायरेक्ट रिक्रूटमेंट के लिए कन्वर्ट कर दी। जिसमे आयु सीमा 35 वर्ष निर्धारित की गई है। इस निर्णय के विरुद्ध GSTA ने शिक्षक हित में कोई आवाज़ नहीं उठाई।
तत्कालीन GSTA(SFTC) ने शिक्षक हित में री एम्प्लॉयमेंट की सुविधा शुरू कराई थी।विभाग में शिक्षकों की कमी होने के बावजूद री एम्प्लॉयमेंट समाप्त कर दिया गया लेकिन GSTA ने कोई आवाज़ नही उठाई।
SFTC शिक्षक हित में री एम्प्लॉयमेंट के केस की हाई कोर्ट में पैरवी कर रही है। जिसकी सुनवाई 12 जनवरी,2022 को होनी है।
अब शिक्षक विरोधी नए RRs लागू हो चुके है जिसमे वर्तमान में कार्यरत शिक्षकों के प्रमोशन पर ग्रहण लग गया है। जिसकी जिम्मेदार केवल और केवल वर्तमान GSTA है।
लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास रखने का दावा करने वाली GSTA ही शिक्षक हित में चुनाव ना कराकर लोकतंत्र की बुनियाद को कमजोर कर रही है।
SFTC का मानना है कि अब अविलंब GSTA को लोकतंत्र में आस्था बनाए रखने के लिए शिक्षक हित में चुनाव कराने की पहल करनी चाहिए।
*जय शिक्षक* *जय दिल्ली*
@sftc24oct22
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