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Re employment को तुरंत प्रभाव से समाप्त कर दिया गया - अध्यापकों के लिए फायदा या नुकसान - सोसाइटी फॉर टीचर्स कॉज की कलम से

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*सोसाइटी फॉर टीचर्स कॉज (रजि.)* 
*दिल्ली प्रदेश*
*-------------------*

शिक्षक साथियो !

शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी आदेश संख्या PS/DE/2020/160, दिनांक 10 सितंबर, 2020 के अनुसार शिक्षकों के Re employment को  तुरंत प्रभाव से समाप्त कर दिया गया है। इसको लेकर  जानकारी के  अभाव में  कुछ शिक्षक साथी  व  संगठन सोशल मीडिया पर भ्रामक  व तथ्य हीन प्रचार कर रहे हैं I इससे  ना  केवल शिक्षक एकता, शक्ति व संगठन को  भारी क्षति होगी अपितु वर्ष 2002 से 2014 तक  GSTA मे सत्ता सीन ओमसिंह, राजकिशोर शर्मा व डी. के. तिवारी ग्रुप की टीम के अथक प्रयास, बौद्धिक क्षमता व सूझबूझ से प्राप्त की गई शिक्षक हितैषी उपलब्धियां एक-एक  करके समाप्त हो जाएंगी।

साथियों! इसी  ग्रुप  ने  तत्कालीन सरकार से  आपको ACP स्कीम (वर्तमान में  MACP ),MACP में योग्यता आधार को समाप्त कराना, DGEHS मेडिकल स्कीम, सीनियर सेकेंडरी स्कूल में 2-2 Vice Principal, मिडिल स्कूलों में Vice Principal, सैकेंड सैटरडे अवकाश, दो वर्ष का Re employment, हजारों  पदन्नोतिया‌ं‌‌‍ तथा आम  चुनाव  से  अगले दिन का  अवकाश कराने की एतिहासिक उपलब्धियां प्रदान  की।
आज समस्त शिक्षक समाज को  इस  शिक्षक विरोधी आदेश के  संदर्भ में गहराई से समझने की जरूरत है। तत्कालीन GSTA (SFTC) के  अध्यक्ष  ओमसिंह, महासचिव राजकिशोर शर्मा, डी के तिवारी टीम का  शिक्षक हित में Re employment शुरू कराने का  केवल एक ही मूल उद्देश्य था कि  विद्यालयों में कोई भी vacant post ना  रहे I 

SFTC हमेशा से ही युवा वर्ग के बेरोजगारों को रोजगार देने की पक्षधर रहीं है। तत्कालीन GSTA (SFTC) के  कार्यकाल में विद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों को सीधी भर्ती के द्वारा, प्रमोशन के द्वारा तथा अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के द्वारा भरा गया था। इस सबके बावजूद भी विद्यालयों में हजारों रिक्त पदों की संख्या बरकरार बनी रहीं।

उस परिस्थिति में तत्कालीन GSTA के  अध्यक्ष ओम सिंह जी  ने  तत्कालीन दिल्ली सरकार को  Re employment Scheme  लागू करने का  सुझाव दिया था। इस  सुझाव का आधार डॉक्टरो की retirement age 65 वर्ष, University के प्रोफेसर की retirement age 65 वर्ष तथा पालीटेक्निक में कार्यरत  शिक्षकों की retirement age 62 वर्ष बताया था!

Re employment की  प्रक्रिया में यह शर्त भी लागू की गई थी कि शिक्षा निदेशालय में  zero vacancy होने पर  यह स्वतः ही समाप्त हो जाएगा! लेकिन  शिक्षा निदेशालय ने हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद भी शिक्षकों के समस्त पदो को नहीं भरा और  zero  vacancy की स्थिति आज तक निर्मित नहीं हो पाई है!
शिक्षा निदेशालय द्वारा sanctioned posts में अतिथि शिक्षकों की  भांति Re employed Teachers की  post कभी भी  filled show नहीं  हुई!

*आखिर क्यों?????*

क्योंकि  जब  Re employment Scheme  शुरू  हुई थी तब  यह शर्त लागू की गई थी कि जैसे जैसे DR और DP Post  पर भर्ती होती जाएगी वैसे वैसे ही  Re employment Scheme में  कार्य कर रहे शिक्षक भी  स्वतः ही हटते चले जाएंगे!

Re employed Teachers तो  retirement के उपरांत भी  आधे वेतन पर छात्रो,स्कूलो व समाज की सेवा करते रहे है!


यहां यह बताना भी आवश्यक है कि आज शिक्षा निदेशालय में लगभग  32000 vacant posts हैं! जिनमें लगभग  23000 गेस्ट टीचर और  लगभग  2000 Re employed Teachers कार्य  कर रहे थे!
हमारे युवा साथियो को  कुछ वरिष्ठ साथियो ने जानकारी के  अभाव में भ्रमित किया है जो शिक्षक एकता को कमजोर करता है!


साथियों! उपरोक्त तथ्य केवल आपकी  जानकारी के लिए  स्पष्टीकरण है I  कोई  राजनीति नहीं है। अतः  आप  इन सब  बिन्दुओं पर  भलीभांति विश्लेषण कर भ्रामक प्रचार से  बचें।

*विनोद शर्मा*
एग्जेक्युटिव प्रेसीडेंट




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