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*प्रेस विज्ञप्ति*
*दिनांक 04.07.2020*
*गुरु वंदन कार्यक्रम*
दिनांक 04.07.2020 को *दिल्ली अध्यापक परिषद* राजकीय निकाय के जिला उत्तर पश्चिम-अ द्वारा गुरु वंदन कार्यक्रम का ऑनलाइन आयोजन किया गया। दिल्ली अध्यापक परिषद *अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ* से सम्बद्ध है। कार्यक्रम में अच्छी संख्या में जिले के शिक्षक शामिल हुए साथ ही साथ इसमें विद्यार्थियों ने भी सहभागिता की। यह कार्यक्रम दिल्ली अध्यापक परिषद द्वारा वर्ष में मनाए जाने वाले चार कार्यक्रमों में से एक है। पूर्व में इसे विद्यालय स्तर पर मनाया जाता था परंतु इस वर्ष कोरोना संकट के कारण इसका आयोजन ऑनलाइन किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत श्री अनिरुद्ध त्यागी ने *सरस्वती वंदना* के साथ की। कार्यक्रम की *अध्यक्षता श्रीमान विक्रम डाबला जी* द्वारा की गई। कार्यक्रम में *मुख्य अतिथि* के रूप में *दिल्ली अध्यापक परिषद के संरक्षक श्रीमान जय भगवान गोयल जी* का उद्बोधन सुनने को मिला एवं *मुख्य वक्ता* के रूप में *शैक्षिक प्रकोष्ठ के संयोजक श्रीमान सुरेंद्र पाल शर्मा* जी का मार्गदर्शन मिला। श्रीमान सुरेन्द्र जी ने गुरु शिष्य परम्परा पर प्रकाश डालते हुए सबको प्रेरित किया। उन्होंने समाज में शिक्षक की भूमिका का वर्णन करते हुए कहा कि शिक्षक का स्थान समाज में बहुत ऊंचा है वह राष्ट्र का निर्माता है। उन्होंने अपने उद्बोधन में कई प्रसंगों को शामिल करते हुए शिक्षकों का उत्साहवर्धन किया। शिक्षक ही नई पीढ़ी का वाहक है वह अपने छात्रों के गुणों को पहचानकर उन्हें निखारने का कार्य करता है। एक अच्छे शिक्षक की यह विशेषता है कि वह अपने छात्रों की विशेषता को पहचान ले एवं उसे निखारने का प्रयास करे। शिक्षक को हमेशा सकारात्मक रहना चाहिए एवं शिक्षा में नवाचार को प्रोत्साहित करना चाहिए। शिक्षक को सदैव लोकतांत्रिक वातावरण में शिक्षा प्रदान करना चाहिए। विद्यार्थी भी इस परंपरा को समझे एवं अपने शिक्षकों का एवं माता पिता का सम्मान करें। अपना सर्वस्व ज्ञान विद्यार्थी को देना ही शिक्षक का कर्तव्य है। प्राचीन काल से ही ऋषियों मुनियों द्वारा गुरु परम्परा का पालन किया गया ऐसे कई उदाहरण हमारे ध्यान में आते है एवं ऐसे ही शिष्य परम्परा के गर्वित करने वाले उदाहरण भी उपलब्ध है। गुरु शिष्य की इसी परम्परा को आज बनाए रखने की आवश्यकता है। आज जिस प्रकार से समाज में मूल्यों का पतन हो रहा है वह चिंता का विषय है। हमें इस दिशा में सोचने एवं ठीक करने का प्रयास करना चाहिए।
*मुख्य अतिथि के रूप में श्रीमान जय भगवान गोयल जी* ने कहा कि शिक्षक को अपने आचरण पर विशेष ध्यान देना चाहिए। विद्यार्थी शिक्षक से ही सीखता है अतः वह उसका अनुसरण भी करने का प्रयास करता है इसलिए हमें इस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। एक अच्छा विद्यार्थी वह है जो अनुशाषित रहे एवं दिए गए कार्य को समय पर पूरा करने का प्रयास करे। अपने गुरुओं का सम्मान करें एवं गलत मनोवृत्तियों से बचे। यह शिक्षक का कर्तव्य है कि वह अपने छात्रों का मार्गदर्शन करते हुए उन्हें अच्छी शिक्षा, ज्ञान एवं विचारों से ओतप्रोत करें। माता-पिता तो बच्चे को जन्म देते है परंतु उसके जीवन को आकार देने का कार्य शिक्षक करता है। शिक्षक को अपने छात्रों के साथ मित्रवत व्यवहार रखना चाहिए एवं प्रत्येक छात्र के साथ प्रत्यक्ष संवाद स्थापित करना चाहिए। सभी प्रधानाचार्य को भी इसका अनुसरण करना चाहिए एवं उन्हें भी छात्रों से प्रत्यक्ष संवाद स्थापित करना चाहिए।
अध्यक्षीय उद्बोधन *जिले के अध्यक्ष श्रीमान विक्रम डाबला जी* द्वारा रखा गया जिसमें उन्होंने मुख्य वक्ता एवं अतिथि द्वारा कही गई बातों का अनुसरण करने का आश्वाशन दिया। उन्होंने कहा कि हमारे सभी शिक्षक साथी अपने दायित्वों का निर्वहन भली प्रकार से कर रहें हैं। हम इसमें और सुधार करने का प्रयास करेंगे। उन्होंने भी छात्रों से शिष्य परम्परा का पालन करने की अपेक्षा की। संगठन का परिचय जिले के *संगठन मंत्री श्रीमान प्रबोध कुमार सिंह* द्वारा रखा गया। धन्यवाद ज्ञापन जिले की *महिला उपाध्यक्ष श्रीमती महिन्द्र कौर* द्वारा किया गया जिसमें उन्होंने मुख्य बिंदुओं का उल्लेख करते हुए सभी का धन्यवाद किया। कार्यक्रम का संचालन श्री धमेंद्र मणि त्रिपाठी द्वारा किया गया। कार्यक्रम में *दिल्ली अध्यापक परिषद के अध्यक्ष श्रीमान वेदप्रकाश जी* एवं *राजकीय निकाय के मंत्री श्रीमान ज्ञानेंद्र सिंह मावी जी* का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। अंत में *कल्याण मंत्र* के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
*श्री प्रेम सिंह*
*प्रचार मंत्री, जिला उत्तर पश्चिम-अ*
*दिल्ली अध्यापक परिषद*
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