*सोसायटी फॉर टीचर्स कॉज(रजि.)*
*दिल्ली प्रदेश*
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दिल्ली के चालीस हजार सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के द्वारा चुनी हुई वर्तमान GSTA की अकर्मण्यता व अनुभवहीनता के कारण शिक्षा निदेशालय के आला अधिकारी शिक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार कर रहे हैं।
*दिनांक ६/९/२०१८ के आदेश संख्या PS/DE/2018/392 के तहत दिल्ली के सरकारी स्कूलों में कार्यरत समस्त शिक्षकों को ही द्वितीय शनिवार को Mega Plantation Drive मे सम्मिलित होकर राज्य सरकार के मिशन को सफल बनाना है।*
**आपको याद दिला दें कि आपकी तत्काल ईन GSTA (SFTC) ने ही सन् 1993 मे दिल्ली सरकार मे शिक्षा मंत्री रहे डा. हर्षवर्धन जी से शिक्षक दिवस के अवसर पर द्वितीय शनिवार के अवकाश की घोषणा कराई थी।*
*वर्तमान GSTA ने अपने चार वर्ष से अधिक के कार्य काल मे कई बार द्वितीय शनिवार के अवकाश पर कैची चलवाई है।*
शिक्षक मित्रों अभी कुछ और तथ्य आपके समक्ष रखने की इच्छा है । हो सकता है कि अपने इतिहास के काले पन्नों को छुपाने के लिए कुछ शिक्षक संगठनों को सिर्फ और सिर्फ पूर्व GSTA अर्थात SFTC के 12 वर्ष याद आते हों । तथ्यों और उपलब्धियों के नाम पर उनके पास कहने के लिए कुछ है ही नही इसलिए वो बेचारे SFTC ( पूर्व GSTA ) के विरोध के लिए सिर्फ 12 वर्ष का मुद्दा लेकर अपनी जर्जर नावों को तैराने की कोशिश करते हैं । न जाने क्यों ऐसे लोग शिक्षकों का ध्यान मुख्य मुद्दों से हटाकर अपनी काठ की हांड़ी फिर चढाने के इंतजार में बैठे हैं । अध्यापकों का वेतनमान चतुर्थ वेतन आयोग ने समकक्ष पदों के मुकाबले क्यों कम कर दिया जिसे बाद में पांचवे वेतन आयोग ने, SFTC की तत्कालीन GSTA टीम की कोर्ट मे पैरवी के बाद ठीक किया गया। SFTC टीम की अद्वितीय ऐतिहासिक उपलब्धियाँ जिसमें द्वितीय शनिवार का अवकाश, पाॅचवे व छठे वेतन आयोग में अध्यापकों के वेतनमानों की सशक्त पैरवी व फलस्वरूप अच्छे वेतनमान, पे फिक्शेसन का अधिकार विद्यालय के प्रमुख को दिलाने, ऐतिहासिक ACP स्कीम दिल्ली के शिक्षकों को दिलवाने , DGHS में शिक्षकों को शामिल कराने, दंत चिकित्सा से रैफर की शर्त हटवाने, PGT को प्रवक्ता घोषित कराने, सेकेंडरी स्कूलों में प्रधानाचार्य का पद सृजित कराने, सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में दो उपप्रधानाचार्यों का पद सृजित कराने, अध्यापकों के 9 हजार नए पद सृजित कराने, हजारों शिक्षकों की पद्दोनितियाॅ कराने इत्यादि उपलब्धियां समर्पित की।
वर्तमान GSTA में काबिज ग्रुप के लोगों द्वारा ही कडकडूमा कोर्ट में केस डालकर, षडयंत्र रचकर चुनावों को जबरन 12 वर्षों तक नही होने दिया।आज SMC के अगूंठा छाप पदाधिकारी, कक्षाओं में घुसकर पढे लिखे शिक्षकों का निरीक्षण कर रहे हैं जबकि SFTC (पूर्व GSTA) ने SMC के इन पदाधिकारियों को प्रधानाचार्य कक्ष से एक कदम भी आगे नही बढने दिया था । वर्तमान GSTA ने सातवें वित्त आयोग मेभी शिक्षकों के हितों की पैरवी नहीं की बल्कि आज तक 7वें वेतन आयोग द्वारा प्रस्तावित अर्जित अवकाश(EL) के लिए वर्तमान GSTA आदेश तक नही निकलवा सके हैं।
*दिल्ली के शिक्षक वर्तमान GSTA के कार्य कलापों से आक्रोशित हैं।शिक्षक आज अनुभवी व मंझी हुई और शिक्षक हित मे तत्पर रहने वाली SFTC की GSTA मे वापसी करना चाहते है।अतः वर्तमान GSTA को शिक्षक हित मे चुनाव कराकर लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करनी चाहिए।*
*जय शिक्षक* *जय दिल्ली* *जय भारत*
*विशेष आग्रह:-* अधिक से अधिक शिक्षक समूहों में शेयर करें।
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