DA CALCULATOR w.e.f. 01-01-2015

GPF INTEREST CALCULATOR

INCOME TAX CALCULATOR FY 2021-22


SELECT THE LANGUAGE HINDI TO READ THE BLOG IN HINDI

Home » » कक्षाओं में कैमरे लगने का मुद्दा शांत हुआ नहीं ,अध्यापकों के लिए एक और विचलित कर देने की खबर - डॉ राकेश सिंह

कक्षाओं में कैमरे लगने का मुद्दा शांत हुआ नहीं ,अध्यापकों के लिए एक और विचलित कर देने की खबर - डॉ राकेश सिंह



(लेखक शिक्षाविद हैं और 27 साल का दिल्ली सरकार में प्राध्यापन का अनुभव रखते हैं)

अभी कक्षाओं में कैमरे लगने का मुद्दा शांत हुआ नहीं था कि एक और विचलित कर देने की खबर सामने आई है। दिल्ली सरकार शिक्षकों को मोबाइल एप्प से जोड़ेगी। जिसमें वे अपनी हाजरी लगा सकेंगे। साथ में उनसे अधिकारी वर्ग सीधे जुड़ सकेगा और उनको सीधे तौर पर आदेश दिए जा सकेंगे। शिक्षकों के लिए अनिवार्य मोबाइल एप्प और स्कूल के चप्पे चप्पे को कैमरे से छावनी बना देने का फैसला कोई अकेला फैसला नही है। अभी इसी श्रंखला में और भी फैसले आने वाले हैं, जिससे शिक्षकों को पूरी शिक्षा व्यवस्था के हाशिये पर ला उन्हें लक्षित किया जा सके।

  शिक्षा के विषय में सही कहा गया है कि यही एक ऐसा क्षेत्र है जिस पर सब्जीवाला भी विशेषज्ञ बन कर धाराप्रवाह बोल सकता है। हमारा तो दुर्भाग्य ही रहा है कि हमारी शिक्षा व्यवस्था को ठीक करने की जिम्मेदारी राजनेताओं ने अपने सर पर ले रखी है। जिसमें वह स्वयंसिद्ध विशेषज्ञ और उद्धारक की भूमिका में हैं। राजनेताओं को वोट चाहिए और इसी वोट बैंक की राजनीति का शिकार हमारे शिक्षाजगत के लिए लिए गए निर्णय होते हैं। वर्तमान में ये दोनो निर्णय ऐसे हैं जो शिक्षा जगत की मुख्य धूरी में से प्रमुख शिक्षकों पर अविश्वास पर आधारित हैं। पहला सीसीटीवी का दूसरा शिक्षकों की हाजिरी के चार चरणों से जुड़ा मामला है।
दोनों ही मामले में मूल केंद्र शिक्षक हैं। वह कब,कहां और कैसे उपस्थित है उसे रडार पर लिया जाए। यह कक्षा की लोकतांत्रिक रचना और उपस्थिति दोनों के खिलाफ है। स्कूल की कक्षाओं में कैमरे लगना न सिर्फ पढ़ाने की विविधता पूर्ण लोकतांत्रिक संरचना के खिलाफ है। वह बच्चों की निजी जिंदगी में ज़बर्दस्त हस्तक्षेप भी है। शैक्षिक जगत के लोग जानते हैं कि स्कूल में अध्यापकों का पढाना ही शैक्षिक प्रक्रिया को पूर्ण नही करता, वरण बच्चों की सहपाठियों के साथ भी सहयोगी लर्निंग चलती है। कक्षा में आपसी शरारतें भी अधिगम यानि लर्निंग का एक बड़ा माध्यम होती हैं। जिसे कैमरे की जद और उस जद का एप्प के जरिये अभिभावकों से जुड़ना उनके प्राकृतिक और अनिवार्य शरारत क्रिया पर अकुंश से कम नहीं है।जिससे उनकी सीखने की प्रक्रिया आगे बढ़ती है।
दरअसल स्कूल में कैमरे लगाना और कक्षा में कैमरे लगाना दोनों अलग अलग चीज़ें हैं। पहला सीमित अर्थों में सुरक्षा की दृष्टि से और बाहरी हस्तक्षेप रोकने के लिए व्यावहारिक कदम हो सकता है। लेकिन कक्षा में कैमरे लगने का सामाजिक संदेश अध्यापकों की चौकसी है। इससे राजनेताओं का वाही-वाही लूटने वाला मंसूबा तो पूरा हो सकता है। किन्तु यह शिक्षा कौशल की मौलिक स्थिति के लिए घातक ही सिद्ध होगा। इससे एक ही तरह की बंधी बंधाई कृत्रिम शिक्षण व्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। अपने बंधे-बंधाए, उपलब्ध, विभाजित तथा पूर्व निर्देशित पाठ्यक्रम से इतर जाने की शैक्षिक जुर्रत से अध्यापक डरेगा। आखिर उस बेचारे को भी तो नौकरी करनी है। दरअसल यह व्यवस्था बड़ी चालाकी से शिक्षा की समस्या को शिक्षकों पर डाल बचने की है। जिसमें स्थाई शिक्षकों की नियुक्ति, शिक्षा इतर काम का बोझ, मानक के अनुरूप शिक्षकों को सुविधा का ना मिलना, शिक्षा सहयोगी कार्य के लिए संसाधन उपलब्ध न करा पाना, छात्र-शिक्षक अनुपात को ईमानदारी से पूरा न कर पाना, समय पर योग्यता अनुसार तरक्की न दे पाना, स्कूल की सुरक्षा प्रोफेशनली दायित्व न निभा पाना आदि से बच कर, सबसे आसान और वोट आकर्षित तरीका खोज निकाला है।
दूसरी खबर जो शिक्षकों पर घोर अविश्वास दर्शाती है वह है कि अब एप्प के माध्यम से शिक्षकों पर जीपीएस का पहरा रहेगा। स्कूल व्यवस्था से जुड़े लोग जानते हैं कि अध्यापकों को अभी तीन स्तरों पर अपने को स्कूल में होने का प्रमाण देना पड़ता है। पहला हाजिरी रजिस्टर में हस्ताक्षर करके। दूसरा बायोमेट्रिक में अंगूठा लगा के और तीसरा विद्यालय प्रमुख द्वारा ऑनलाइन हाजिरी भेज कर। इतनी परीक्षाओं के बाद भी अध्यापक विश्वास की परीक्षा  में असफल ही रहता है। अब उसे चौथी और सबसे खतरनाक परीक्षा से गुजरना होगा वह है जीपीएस की निगरानी। मोबाइल में एप्प आ जाने का सीधा मतलब है किसी भी शिक्षक को निजी जीवन में हस्तक्षेप करना और यह एक तरह का अपराध होगा। उस पर कहीं भी निगरानी रखी जा सकेगी।
इस उदाहरण को आप मजाक में ले सकते हैं, मगर भविष्य में यह उदाहरण आपके सामने हो सकता है- आप एक अध्यापिका हैं, जो स्कूल समय में प्राकृतिक कारणों से शौचालय का प्रयोग करती हैं और बहुत देर से कैमरे की जद से बाहर है आपका मोबाइल बैग स्टाफ रूम में है। मोबाईल पर एक संदेश आता है कि आप कैमरे की जद से बाहर हैं, तुरंत अपने स्कूल में होने का प्रमाण दो। आप इस संदेश को बहुत देर से देखती हैं अब इस पर आप  क्या प्रतिक्रिया करेंगी? अपनी प्रतिक्रिया या स्पष्टीकरण में क्या लिखेंगी। इसी तरह आप रात को सो रहें हैं। एक आदेश आता है कि सुबह आपको अपने विद्यालय न जाकर कहीं और किसी वर्कशॉप के लिए जाना है।  सुबह स्कूल आने की जल्दी में आप एप्प देखना भूल गईं या गए तो आप ही दोषी। यानी प्रशासन आपसे उम्मीद करता है कि आप 24 घण्टे अपने आप को मानसिक रूप से एप्प के इर्दगिर्द बांधने को मजबूर हों। निजी चीजों से ध्यान हटायें और प्रशासन के बन्धुआ बने रहें। आधुनिक टेक्नोक्रेट राज्य इस तरह की वफादारी का कायल होता जा रहा है।
सरकार और उससे जुडी प्रशासनिक व्यवस्था को चाहिए कि वह यह सब नौटँकी करने की जगह ऐसे कदम उठाये कि शिक्षक समुदाय अपने दायित्व को पूरा करने को अपना फर्ज़ समझे। ऐसा माहौल बनाये जिससे उसे विद्यालयी व्यवस्था अपनी व्यवस्था लगे। जहां वह अपने विद्यार्थियों के साथ खुले मन से सहभागिता निभाये। शिक्षक अपनी और विद्यालय की भूमिका और सीमाओं को बढ़ा कर सके। ऐसा सम्भव है, क्या पहले ऐसा नही था आखिर बढ़े अविश्वास के इस दौर ने शिक्षा व्यवस्था का क्या भला हुआ है? इस पर नीति निर्माताओं को समझने तथा विचार करने की जरूरत है।




Share this article :

0 Comments:

Speak up your mind

Tell us what you're thinking... !

--

Subscribe Us


         DA RATES        
          
          W.E.F        DA Rates

Followers

 
Support : Creating Website | Johny Template | Mas Template
Proudly powered by Blogger
Copyright © 2011. DELHI SCHOOL TEACHERS FORUM - All Rights Reserved
Template Design by Creating Website Published by Mas Template

Receive All Free Updates Via Facebook.