2,738 नियमित शिक्षकों को लेक्चरारों के तौर पर ‘‘तदर्थ’’ तरक्की के फैसले को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय में दिल्ली सरकार के उस फैसले को चुनौती दी गई है जिसमें 2,738 नियमित शिक्षकों को लेक्चरारों के तौर पर ‘‘ तदर्थ ’’ तरक्की दी गई है ताकि वे नए पद के लिए किसी प्रशिक्षण के बगैर ही अलग विषयों एवं अलग आयु वर्ग के छात्रों को पढ़ाएं।
दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के फैसले को दो स्कूली छात्रों ने चुनौती दी है। उन्होंने दलील दी है कि शिक्षकों को फायदा पहुंचाने के लिए स्कूली बच्चों को ‘ गिनी पिग ’ (प्रयोग की वस्तु) के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। यह अर्जी सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति सुनील गौड़ की पीठ के समक्ष आई जिन्होंने इसकी सुनवाई के लिए 10 मई की तारीख तय कर दी।
हालांकि , पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे याचिका पर उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री की ओर से की गई आपत्तियों को दूर करें। छात्रों ने अपनी याचिका में कहा कि 11 अप्रैल के तरक्की के आदेश को यदि लागू किया गया तो शिक्षकों के मौजूदा बैच के सामने एक नई स्थिति होगी जिसमें उन्हें अलग विषयों एवं अलग आयु वर्गों के छात्रों को पढ़ाना होगा जिसके लिए उन्हें प्रशिक्षण नहीं दिया गया है।
शनमुगो पात्रो और तरुण कुमार नाम के वकीलों के जरिए दायर याचिका में यह दलील भी दी गई कि प्रशिक्षित स्नातक शिक्षकों (टीजीटी) को परास्नातक शिक्षकों (पीजीटी) या लेक्चररों के पद पर तरक्की देने के आदेश से छात्रों को नुकसान उठाना पड़ेगा। याचिका में कहा गया कि ‘आप’ सरकार के आदेश से एक ऐसी स्थिति पैदा होगी जिसमें अभी छठी से 10 वीं कक्षा तक के छात्रों को गणित, अंग्रेजी या विज्ञान पढ़ाने वाले शिक्षक तरक्की के बाद 11 वीं एवं 12 वीं कक्षा के छात्रों को अर्थशास्त्र, भूगोल, इतिहास एवं राजनीति विज्ञान।
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