माननीय मुख्यमंत्री जी तथा माननीय उप मुख्यमँत्री जी ! (दिल्ली),
आपने हमारी 70 बच्चों वाली कक्षा में 20 बच्चे फेल होते हुए देखे, *पर पास होते हुए बच्चे आपको नज़र नहीं आये, जो 9 और 10 तक cgpa लेकर आये हैं ।* जबकि हमारी कक्षाओं में बहुत से बच्चे ऐसे होते हैं जो, 1st, 2nd, 3rd, 4th, 5th, 6th, 7th या 8th कक्षा में ही फेल हो जाने चाहिए थे । (जिनको हम सरकार की गलत नीतियों के चलते निभा रहे हैं)
*जिन्हें फेल न करने का नियम भी, तथाकथित नेताओं व मंत्रियों द्वारा, अपने वोट बैंक को ध्यान में रखकर, देश का भविष्य बर्बाद करने के लिए, बनाया गया है ।*
दूसरी बात, आपने SMC, PTA, PTM आदि के बारे में भ्रान्ति फैलाई कि, आपने गठित की ! तो बता दें कि, SMC, PTA, PTM आदि पहले से ही हुआ करती थी, सभी विद्यालयों में । अब आपने जो अधिकार SMC को दिए हैं, उनका भी हम स्वागत करते हैं ।
बस, एक निवेदन है कि, एक SMC और गठित करें, जिसकी full form हो, Secretariat Management Committee (सचिवालय प्रबंधन कमेटी) । और ये सचिवालय की SMC, आपके और आपके विधायकों के काम-काज पर ठीक वैसे ही, उन्हीं प्रदत्त अधिकारों के साथ, नज़र रखे, जैसे हमारे विद्यालयों की SMC रखती हैं ।
*चाणक्य को कौटिल्य बनने पर मजबूर आपने किया है ?*
आप जिस तरह विद्यालयों के HOS की बैठक लेते हैं, जिस तरह विद्यालयी शिक्षकों के साथ बर्ताव करते हैं, उस से तो यही लगता है कि, आप को अपने निजी जीवन मे अध्यापकों से बहुत अधिक नाराज़गी रही होगी, जिसका बदला आप दिल्ली के पूरे शिक्षक समाज से ले रहे हैं । परंतु फिर भी आपको एक बात याद रखनी चाहिए कि, *आपके बच्चे भी किन्हीं शिक्षकों के हाथों में हैं, और कोई अध्यापक यदि स्वयं पढ़ाना न चाहे, तो कोई उस से ज़बरदस्ती नही पढ़वा सकता ।*
हम आपको काम करते दिखेंगे, बोलते दिखेंगे, पर *अगर हम चाहें तो अर्जुन बना दें, और हम चाहें तो दुर्योधन बना दें । इतनी सामर्थ्य हम में है ।*
*एक डॉक्टर से भी 100 % परिणाम की अपेक्षा नहीं की जाती*
*एक वकील से भी नहीं, एक मंत्री / विधायक आदि भी अपने 100 % चुनावी वादे पूरे नहीं करता, और किसी भी अन्य कार्य में भी 100 % की अपेक्षा नहीं की जाती ।*
100 % परिणाम आ भी सकता है, और नहीं भी ! *सभी व्यवसायों में, वर्ष - दर - वर्ष, परिणाम बढ़ता - घटता रहता है । किसी भी व्यवसाय में परिणाम घटने पर कोई कार्यवाही नहीं, फिर शिक्षकों पर किस आधार पर परिणाम घटने पर कार्यवाही की जाती है ? परंतु परिणाम बढ़ने पर कोई पारितोषिक नहीं दिया जाता ?*
अध्यापक से 100 % परिणाम की अपेक्षा किस आधार पर की जाती है ? क्यों ? क्या आप ये मान कर चलते हैं कि, मनोविज्ञान के क्षेत्र में आज तक किये गए सभी शोध कार्य व्यर्थ हैं, और सभी महान शोधकर्ता मुर्ख थे ! *क्योंकि यह एक प्रमाणित वैज्ञानिक तथ्य है कि, कोई भी दो व्यक्ति अथवा बच्चे समान नहीं होते, सभी का परिणाम 100 % नहीं हो सकता !*
*जब एक पायलट, वायुयान उड़ाता है, तो उसका दल, उस वायुयान को गन्तव्य तक पहुंचाने हर संभव सहायता देता है ।*
*जब कोई डॉक्टर, शल्य-क्रिया करता है, तो उसका दल भी यही कार्य करता है ।* केवल एक शिक्षक ही है कि, जब वो काम करता है तो मंत्री, संत्री, अधिकारी, SMC आदि उनकी सहायता नहीं, बल्कि उनका निरीक्षण करते हैं, उनकी गलतियाँ निकालते हैं । पर सहायता नहीं करते, *ये नहीं पूछते कि, हम आपकी क्या सहायता कर सकते हैं, कार्य के लिए शुभः कामनाएँ नहीं देते* केवल गलतियाँ निकालना ही अपना धर्म समझते हैं । *जिनसे एक घण्टे भी अपने दो बच्चे भी नहीं सम्भलते, वे शिक्षकों से कई बच्चे संभालने के लिए प्रश्न पूछते हैं !* जो अपने बच्चों की शैतानियों से बचने के लिए ही उन्हें विद्यालय भेजते हैं, वे शिक्षकों से पूछते हैं कि, हमारा बच्चा शैतानियाँ क्यों करता है ! *जो खुद पांच मिनट के लिए भी अपनी लघुशंका नहीं रोक सकते, वे शिक्षकों से पूछते हैं कि, आप लघुशंका मिटाने के लिए कक्षा से बाहर क्यों गए ! जो स्वयं एक घंटे भी लगातार खड़े नहीं रह सकते, वे शिक्षकों के लिए आदेश निकालते हैं, कि छह - छह घंटे, आप खड़े रह कर कक्षा में पढ़ाएंगे !* जो दफ्तरों के बाबुओं के सामने हाथ जोड़ कर खड़े रहते हैं, और उनसे अपने काम करवाने के लिए रिश्वत देने की पेशकश, स्वयं करते हैं, वे शिक्षकों को ईमानदारी का पाठ पढ़ाते है ऐसी सोच पर जो इंसान को इंसान न समझे ?
ठीक है, आप हमारी सहायता मत कीजिये, परंतु हमारे काम में बाधा बन कर न आइए ! अपनी राजनीति चमकाने के लिए, मीडिया में वीडियो फैलाने के लिए, वीडियो बनाने का चलन क्या होता है, इसके लिए कोई किस हद तक जा सकता है, ये उदाहरण आज सभी के सामने है । *वरना, पहले भी मंत्री / अधिकारी, निरीक्षण किया करते थे !* शिक्षा का अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है । पर यदि शिक्षक समुदाय ज़िद पर आ गया, जो कि अभी तक भी एक गऊ की तरह व्यवहार कर रहा है, तो कोई अंदाज़ा भी नहीं लगा सकता, कि अंजाम क्या होगा ?
*क्योंकि शायद, आप भी ये बात मानते हों, कि बच्चे अपने अभिभावकों की बात को झूठ मान सकते हैं, परंतु उनके शिक्षकों ने जो बात कही, वो बात उनके लिए, शत - प्रतिशत सही होती है ।*
अन्त में यही कहेंगे कि, आप हमें सहयोग कीजिये, और शिक्षा मे वृहत्तर सुधार के लिये सहयोग लीजिये । आप तो पता नहीं, पाँच वर्ष बाद इस कुर्सी पर होंगे या नही ? किसी और राज्य में राजनीति खेल रहे होंगे या किसी भी कुर्सी पर नहीं होंगे ? परंतु, शिक्षक यहीं होंगे, यहीं रहेंगे आपसे पूछने के लिए कि, क्या हुआ ?
*बंद करिये शिक्षको को प्रयोगशाला बनाना ? ? ?*
अभी तो ये अँगड़ाई है ...आगे और लड़ाई है ...! !
DSTW टीम 🙏🙏🙏🙏🙏
विनोद पाण्डेय संदीप गंगोत्री
9868004423 ब9811524654
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