मार्च का दूसरा शनिवार भी गया GSTA या दूसरे संगठन क्या कर रहे हैं- कारण है हमारी कमजोर वर्तमान gsta
साथियों कल से डेटशीट आने के बाद एक ही प्रश्न सोशल मीडिया पर चल रहा है कि मार्च का दूसरा शनिवार भी गया GSTA या दूसरे संगठन क्या कर रहे हैं। दोस्तो प्रश्न बहुत ही वाजिब और जरूरी है लेकिन सोचने वाली बात ये भी है कि रोज रोज ऐसे तुगलकी फरमान आखिर आते क्यों है इसका कारण क्या है। जहाँ तक मैं समझ पा रहा हूँ इसका कारण है हमारी कमजोर निवर्तमान gsta जिसके प्रधान जी अवैध रूप से अपनी कुर्सी पर चिपके रहने के लिए DOE के चरणों में बैठ गये हैं और किसी भी बात का विरोध नही करते। हम शिक्षक सिर्फ अपनी चिंता करते हैं संगठन के लिए समय नहीं निकालते। कोई भी संगठन अकेले कुछ नहीं कर सकता वो तभी मजबूत होता है जब उसके साथ भीड़ होती है।लोकतंत्र में संख्या बल को ही तरजीह दी जाती है। सरकार या विभाग gsta के चुनाव नहीं कराना चाहते क्योंकि उन्हें इस से कमजोर gsta मिल ही नही सकती जो किसी भी तुगलकी आदेश का विरोध ही ना करें।यह हमारे लोकतांत्रिक अधिकारों का भी हनन है।आज सरकार और विभाग को जवाब देने का बहुत बढ़िया मौका है अधिक से अधिक संख्या में आम सभा में पहुंचकर दिखा दो कि शिक्षक इतना भी कमजोर नहीं है।यदि हम बच्चों को उनके अधिकारों की रक्षा करना सीखा सकते हैं तो अपने अधिकारों की रक्षा भी कर सकते हैं। रोज रोज के तुगलकी आदेश सोशल मीडिया पर किसी को कोसने से बंद नहीं होने वाले । उनका एकमात्र समाधान है मजबूत gsta का गठन।और आज की आम सभा उसके लिये पहला कदम है।इसलिये आप सभी से विनम्र निवेदन है कि अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर आम सभा को सफल बनायें । सधन्यवाद।
जय शिक्षक जय भारत
अशोक कुमार यादव
वरिष्ठ उपाध्यक्ष
शिक्षक न्याय मंच
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