*सोसायटी फॉर टीचर्स कॉज*
*दिल्ली प्रदेश*
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सम्मानित शिक्षकों
प्रणाम।
*जब अत्याचार सहते-सहते अति हो जाये तो एक जवाला निकलती है।औऱ उस जवाला को क्रांति कहते हैं।"*
*आचार्य चाणक्य*
दिल्ली के बेहद ईमानदार औऱ मेहनती शिक्षक केवल औऱ केवल केंद्र सरकार की पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाली वर्तमान GSTA औऱ राज्य सरकार की नूराकुशती का शिकार हो रहे हैं। शिक्षा निदेशालय शिक्षक विरोधी मानसिकता के साथ शिक्षकों के अधिकारों को समाप्त करने पर आमादा है और भारत मे सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों की सबसे बडी संस्था GSTA बौद्धिक अक्षमता,अनुभवहीनता औऱ तार्किक अकुशलता के कारण राज्य सरकार तथा शिक्षा विभाग को शिक्षक हित मे वार्ता करने मे विफल और असफल सिद्ध हो रही है।*जिसका दुष्परिणाम शिक्षकों को विद्यालयों के 01 घंटे बढे हुए समय के रुप मे झेलना पडेगा।*
आपको याद दिला दे कि आपकी तत्काल ईन GSTA(SFTC) ने अपने बुद्धि कौशल एवं प्रभावी तार्किक क्षमता से सन् 2005 मे विद्यालयों का *01*घंटे बढा हुआ समय *वापिस* कराया था। औऱ सन् 2014 मे विद्यालयों का *02* घंटे बढा हुआ समय अपने तार्किक तथ्यों से प्रभावित कर *वापिस* कराकर शिक्षकों को राहत दिलाई थी।
लेकिन वर्तमान GSTA अपनी अक्षमता के कारण शिक्षकों का लगातार अहित कराने पर तुली हुई है। अच्छा होगा कि वर्तमान GSTA संस्था के असतित्व को बचाए रखने के लिए बिना समय गंवाए अपना त्याग पत्र सौंप दे।
*जय शिक्षक* 🇮🇳 *जय दिल्ली*
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