क्या हमारे शिक्षक संघठन जैसे GSTA, MCTA, दास्तान, शिक्षक मंच, प्रगति शिक्षक मंच, अखिल भारतीय दिल्ली शिक्षक संघ आदि संघठन सोये हुए हैं।
*शिक्षक एकता जिंदाबाद...................*
*शिक्षक साथी और निगम चुनाव लड़ने वाले कैंडिडेट्स अवश्य पढ़ें। और हो सके तो इस पोस्ट को सोसल मीडिया और व्हाट्स एप्प ग्रुप्स पर भेजें। वायरल करें।*
*जैसा आप सभी को विधित है 23/04/2017 (रविवार) को दिल्ली के तीनों निगम के चुनाव होने हैं, इस चुनाव को लेकर पिछले लगभग 15 दिनों से तैयारियां चल रही है, इस तैयारी में अहम भूमिका होती है पोलिंग पार्टी की। और उस पोलिंग पार्टी के लिए सबसे ज्यादा भरोसेमंद कर्मचारी है अध्यापक। सबसे भोला, समझदार और गूंगा भी, जो चाहे जिस समय बुलाओ उसी समय हाजिर। अब एक सबसे बड़ी बात इनकी ट्रेनिंग के लिए खाने की व्यवस्था होती है, जिसके लिए सरकार 125 ₹ से लेकर150₹ देती है, अब ट्रेनिंग सेन्टर पर इन्हें 10 से 20 ₹ के आइटम और एक चाय में निपटा दिया जाता है परन्तु यह अध्यापक नामक जीव चूंकि गूंगा है इसलिए उसी में सब्र कर लेता है, और उच्च अधिकारियों के डर में या झमेले में न पढ़ने के चक्कर मे कुछ नही बोलता है। अब दूसरा पॉइंट जिस चुनाव को लेकर वह रात दिन अपने छोटे - 2 बच्चों को छोड़कर (चूंकि अध्यापिकाएं भी होती है जिनके लिए बहत समस्याएं होती है) चुनाव में लगे रहतें है, और उन्हें सफल बनाते हैं। सरकार भी ज्यादा से ज्यादा वोटिंग हो यह चाहती है व विभिन्न प्रकार के प्रलोभन एवं विज्ञापन देती है ताकि वोटिंग ज्यादा हो परन्तु क्या उन लाखों कर्मचारियों के बारे में किसी ने सोंचा है जो इस चुनाव को सफल बनाने में लगा है उसका वोट कंहा डलेगा। उसका वोट डलेगा ही नही। क्योंकि आज 19 तारीख तक भी चुनाव ट्रेनिंग सेंटर पर इसका कोई जवाब नही है और ना ही उनकी वोटिंग को लेकर किसी को चिंता। अब एक विचारणीय प्रशन है कि जिनके भरोसे सरकार यह सारा कार्यक्रम आयोजित कर रही है उनका वोट ही नही पड़ेगा।*
*अब इस वोट न पड़ने के भी कुछ कारण है।*
*1. अध्यापकों की ड्यूटी इतनी दूर लगा दी गई है कि वह अपने वार्डस से कोसों दूर है अब विचारणीय प्रशन है कि उनकी ड्यूटी यदि उसी वार्ड में लगती तो उन्हें परेशानी कम होती और जंहा उनकी वोट है वंहा होते तो शायद वोट कास्ट कर पाते। ऐसा नही किया गया। ऐसा इसलिए नही किया गया कि वो चोर हैं और मतदान को प्रभावित कर सकतें हैं।*
*2. केंद्र सरकार यानी भाजपा को सर्वविदित है कि वह कर्मचारियों के पक्ष में नहीं है 6th पे कमीशन की कमियों के साथ - 2 वह 7th पे कमिशन के भत्ते आज तक नहीं दे पाई है अतः उन्हें डर है कि कर्मचारी उनके खिलाफ वोटिंग्स करेगा अतः वोट कास्ट ना करवाया जाए।*
*3. दिल्ली सरकार को विधित है कि वह अध्यापक की सरेआम ओपन मंचो पर बेइज्जती करती आ रही है और 6th पे कमिशन के ठीक करने के अपने वादे को पूरा नही कर पाई है अतः उनके खिलाफ वोटिंग होगी। अतः अध्यापकों की वोटिंग्स उनके खिलाफ होगी। अतः अध्यापकों की वोटिंग्स न करवाई जाए।*
*4. कोंग्रेस को शायद पता ही नही है कि कर्मचारी उसके पक्ष में है या विपक्ष में अतः उसका ध्यान इस और नही है।*
*5. अन्य पार्टियां जैसे स्वराज, बसपा, सपा और निर्दलीय आदि को पता ही नही है कि क्या खेल हो रहा है।*
*अब प्रश्न उठता है कि अध्यापकों कि वोटिंग क्यों नही?*
*क्या अध्यापकों को इसके खिलाफ कोर्ट नही जाना चाहिए? उत्तर है नहीं क्योंकि यह सर्वविदित है कि अध्यापक गूंगा है।*
*अब प्रशन उठता है कि इसके खिलाफ आवाज क्यो नही उठ रही?*
*क्या हमारे शिक्षक संघठन जैसे GSTA, MCTA, दास्तान, शिक्षक मंच, प्रगति शिक्षक मंच, अखिल भारतीय दिल्ली शिक्षक संघ आदि संघठन सोये हुए हैं, जो अपने हक की आवाज बुलंद नही कर सकतेे।*
*_एक पीड़ित शिक्षक।_*
*_शिक्षक एकता जिंदाबाद।_*
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