*सोसायटी फॉर टीचर्स कॉज*
दिल्ली प्रदेश
दिल्ली के सम्मानित शिक्षक समाज को 68वें गणतंत्र दिवस की ह्रदय की गहराइयों से शुभकामनाएं।
भाईयो/बहनो, आपके द्वारा चुनी हुई भारत के सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों की सबसे बडी संस्था *GSTA* की शिक्षक हित में गतिविधियाँ अदृश्य हो गयी प्रतीत होती हैं परिणामस्वरूप शिक्षकों में आक्रोश का वातावरण व्याप्त है। साढ़े तीन साल बीत जाने के बाद भी हमारी वर्तमान GSTA ने शिक्षकों से किए गए 36 वायदों में से एक भी वायदा पूरा नहीं किया है
आपको याद होगा कि 25 जनवरी, 2014 को दिल्ली के सरकारी विद्यालयों के समय में विभाग द्वारा 2 घंटे की बढ़ोतरी की गयी थी जिसे आपकी तत्कालीन GSTA(SFTC) ने अपने बुद्धि कौशल और आपके सहयोग से बढ़े हुए समय को 2 दिन की अल्पावधि में समाप्त करा दिया था औऱ हमारी वर्तमान GSTA अपने इस कार्य काल में विद्यालयों के समय में बढ़े हुये 30 मिनट के समय को समाप्त करा पाना तो दूर,शिक्षक समाज के सम्मान को बरकरार नहीं रख पायी है । आये दिन विद्यालयों में इस बढे हुए समय की वजह से शिक्षकों/शिक्षिकाओ के साथ छेड़छाड़ की घटनाएं बढ रही हैं। जिसके लिए केवल हमारी वर्तमान GSTA ही जिम्मेदार है।
दूसरा मुख्य मुद्दा वेतन विसंगति 18460 का समाधान करना था।आपकी तत्कालीन GSTA(SFTC) ने लगातार सन् 2011 -2014 तक केस की CAT में पैरवी की।CAT में केस में नकारात्मक परिणाम आने पर भी केस की पैरवी बंद नहीं की बल्कि केस को हाईकोर्ट मे रजिस्टर कराया।उसी दौरान GSTA चुनाव में वर्तमान GSTA को शिक्षक समाज का अभूतपूर्व आशीर्वाद मिला। अब इस केस की पैरवी करना वर्तमान GSTA का कार्य था परन्तु हमारे ये साथी केस की पैरवी न कर सके जबकि आपकी तत्कालीन GSTA (SFTC) ने शिक्षक हित में 18460 केस के सम्पूर्ण दस्तावेज वर्तमान GSTA के सुपुर्द कर दिये थे ताकि शिक्षक हित के लिए की जा रही पैरवी अनवरत जारी रहे और सफलता मिल सके।लेकिन यह केस वर्तमान GSTA की घनघोर लापरवाही की भेंट चढ़ गया अर्थात कोर्ट से केस खारिज हो गया।
भाईयो/बहनो शिक्षक समाज की आर्थिक प्रगति के लिए आपकी तत्कालीन GSTA (SFTC) ने Entry Pay(TGT), 6th CPC, 17140 के केस की पिछले 5 वर्षों से लगातार पैरवी की है और इस केस की अगली तारीख 6 फरवरी,2017 है जिसमें सकारात्मक परिणाम मिलने की पूरी-पूरी संभावना है। हम सभी SFTC के सदस्य शिक्षक हितों के लिए सदैव सजग और प्रयत्नशील रहेंगे।
*जय शिक्षक* *जय दिल्ली*
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