GSTA चुप्पी तोडिये और ऐतिहासिक संघर्ष की रूपरेखा बनाये अन्यथा नैतिकता के आधार पर स्वयं को असहाय घोषित करते हुए गरिमामयी पद का त्याग करें।
"प्रगतिशील राजकीय शिक्षक मंच, दिल्ली"
सम्मानीय महासचिव
राजकीय विद्यालय शिक्षक संघ
दिल्ली प्रशासन
मान्यवर,
हम काफी निराश परेशान और आश्चर्य चकित होकर आपको ये पत्र लिख रहे हैं। GSTA का एक गौरवशाली इतिहास रहा है। पंडित विश्वनाथ द्वारा खड़ा किया गया ये संगठन अपने नाम के लिए जाना जाता है। इस संगठन की बहुत सी ऐसी उपलब्धियां रही हैं जिनका लोहा आज भी प्रशासन और शिक्षक साथी आज भी मानते हैं। इसी संगठन में माननीय मास्टर बिजेंद्र जैसे प्रेजिडेंट रहे हैं जिन्होंने 40 दिन की ऐतिहासिक हड़ताल कराके शिक्षकों की पंजाब में लगायी गयी चुनाव ड्यूटी को निरस्त करा दिया था। महासचिव जी आज वही संगठन बड़ी विषम परिस्थिति में भी निष्क्रिय देखते हैं तो लगता है कि अब इसे लकुवा मार गया। और महोदय GSTA को इस स्थिति में लाने के लिए वर्तमान संगठन के अधिकारी जिम्मेदार हैं।
महोदय आज दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्री जो हमें अशिक्षा मंत्री नजर आते हैं , वो नित नए तुगलकी फरमान जारी करते हैं और विभाग उन फरमानों को हमारे कंधों पर लाद देता है। और हमारा संगठन लीपापोती करता रहता है। संगठन ने एक भी मुद्दे पर कोई ठोस कदम उठाया हो ऐसा आपकी कार्यप्रणाली से नजर नहीं आया। शायद ऐसा आप निजी स्वार्थों के चलते नहीं कर पाए हो या आपकी मंशा शिक्षक हित में काम करने की न रही हो। मान्यवर संगठन किसी एक की बपौती नहीं हुआ करता। आपको जनमत ठीक उसी प्रकार मिला है जिस प्रकार दिल्ली सरकार को मिला। शायद उसी जनमत के मद में आप भी शिक्षा मंत्री की तरह ही चूर हैं। महोदय ये लोकतंत्र है और आप भी उसी लोकतंत्र के तहत मनोनीत हैं।
महोदय दिल्ली सरकार के लगातार बढ़ रहे निरंकुश क़दमों के मद्देनज़र अब दिल्ली के हज़ारों शिक्षक न केवल GSTA बल्कि अन्य संगठनों की ओर भी टकटकी नज़रों से देख रहे हैं ।चाहे राजबाला मैडम वाला प्रकरण हो या कुछ शिक्षकों की बर्खास्तगी या फिर वेतन- विसंगति के ही मामले में वर्तमान GSTA का प्रदर्शन जिस प्रकार का रहा है उससे शिक्षक समाज में कुछ इस प्रकार का माहौल बना है कि अब ये महसूस होने लगा है कि शिक्षक के हक़ व सम्मान की लड़ाई लड़ना बर्तमान पदाधिकारियों के बूते की बात नहीं रही ।
SMC को जिस प्रकार तीन दिन पहले विशेष शक्तियां शिक्षा मंत्री ने प्रदान की और संगठन ने जिस प्रकार चुप्पी साधी उससे समस्त शिक्षक समाज आहत है। और स्वयं को ठगा सा महसूस कर रहा है।
महोदय अभी भी वक़्त है। इसलिए आप अब भी पिछली गलतियों को छोड़, इस नयी विषम परिस्थिति पर फोकस करें। यही वक्त की माँग भी है । सरकार जिस भारी जनसमर्थन के बल पर फड़फड़ा रही है कुछ ऐसा ही जनमत लेकर आप लोग अर्थात् GSTA भी आयी थी । इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि इस या उस भारी समर्थन के बल पर कुछ ऐसा किया जाय जिससे कि न केवल शिक्षक समाज में शिक्षक संगठनों के प्रति विश्वास बढे बल्कि सरकार को भी यह लगने लगे कि प्रबुद्ध शिक्षक भी सरकार की नाक में दम करने का दम रखते हैं ।
हम आपसे आग्रह करते हैं कि या तो आप लोग अपनी चुप्पी तोडिये और एक और ऐतिहासिक संघर्ष की रूपरेखा बनाने की तरफ बढ़ें । अन्यथा नैतिकता के आधार पर स्वयं को असहाय घोषित करते हुए गरिमामयी पद का त्याग करें। और GSTA के संविधान का सम्मान करते हुए आम चुनाव की घोषणा एक जनरल हाउस की मीटिंग बुलाकर करें । आशा है , इस पत्र में लिखे सुझाव - निवेदन को साकारात्मकता से समझने का आप प्रयास करेंगें।
हम प्रगतिशील शिक्षक संघ की तरफ से विश्वास दिलाते हैं कि आपके द्वारा शिक्षक हित में लिए गए निर्णय का सम्मान करेंगे और संगठन का हर संभव साथ देंगे। अन्यथा आपके नैतिक आधार पर दिए त्याग पत्र के उपरान्त शिक्षक साथियों के हित को देखते हुए उनके सम्मान की लड़ाई को अपने कंधों पर लेकर अंजाम तक पहुचायेंगे ।
सरकार की दमनकारी नीतियों के विरोध में शिक्षा मंत्री को भी मंच पत्र प्रेषित कर चुका है।
आशा है आप पत्र की सकारत्मकता और पत्र लिखने से पूर्व की वेदना का संम्मान करते हुए निर्णय लेकर हमें अवगत अवश्य कराएंगे।
धन्यवाद।
महासचिव
प्रगतिशील शिक्षक मंच, दिल्ली ।।
निवेदक
"प्रगतिशील राजकीय शिक्षक मंच, दिल्ली"
स्त्रोत : PRSM
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