भूतपूर्व GSTA{SFTC} ने 12 साल तक चुनाव न करवाने पर अपनी सफाई दी।
सोसायटी फॉर टीचर्स कॉज(रजि)
दिल्ली प्रदेश
दिल्ली के सम्मानित शिक्षक भाईयों/बहनों,
सादर नमन !
SFTC , सबसे पहले हनुमान जी महाराज जी की जयंती पर हृदय की गहराईयो से शुभकामनाएं प्रेषित करती है।औऱ इस अवसर पर शिक्षक समाज के जेहन मे कौध रहे सवाल कि तत्कालीन GSTA{SFTC} ने 12 साल बाद आखिर कयो चुनाव कराये, का सच आपके समक्ष प्रस्तुत करने का निर्णय लिया है।
आज SFTC, आपके समक्ष वह सत्य तथ्य पेश करने जा रही है जिसके कारण GSTA के चुनाव 12 साल बाद सम्पन्न हो सके। चुनावों मे देरी की वजह की दोषी केवल तत्कालीन GSTA ही नहीं है , बल्कि वह सभी शिक्षक संगठन भी दोषी है जिन्होंने ने GSTA चुनाव, 2014 मे शिरकत की है। इस दौरान किसी भी शिक्षक संगठन ने लोकतांत्रिक विपक्ष की भूमिका का पालन नहीं किया। यदि विपक्ष ने अपनी भूमिका ईमानदारी से निभाई होतीं तो शायद GSTA के चुनाव निश्चित समय सीमा मे हो गये होते। तत्काल ईन GSTA(SFTC) के 12 सालों के ऐतिहासिक सुनहरे कार्यकाल के दौरान विपक्ष ने एक बार भी चुनाव के लिए पहल नही की। कारण साल दर साल SFTC शिक्षकों के हित के कार्यों को अंजाम दे रही थी।
सन् 2002 मे तत्काल ईन GSTA को दिल्ली के शिक्षकों का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। तत्काल ईन GSTA ने चुनाव मे किए गये वायदो को पूरा कर सन् 2005 मे दिल्ली के शिक्षा निदेशक को पत्र लिखा कि समय से चुनाव कराकर लोकतांत्रिक प्रणाली का सम्मान किया जाये।
सन् 2005 मे ही लोकतांत्रिक अध्यापक मंच के तत्कालीन अध्यक्ष मान. आजाद सिंह जी ने कडकडडूमा कोर्ट मे चुनाव को लेकर केस दाखिल कर दिया। केस का फैसला आने तक चुनाव संभव नहीं थे। दिसंबर, 2007 मे उक्त केस का फैसला आया औऱ आपकी तत्कालीन GSTA(SFTC) ने जनवरी, 2008 मे दिल्ली के शिक्षकों की 50-50 रुपये की सदस्यता का प्रावधान रखा। मेम्बरशिप की रसीदे शिक्षक संगठन लोकतांत्रिक अध्यापक मंच व राजकीय प्रगतिशील शिक्षक मंच को भी दी गई ताकि शीघ्रता के साथ GSTA चुनाव सम्पन्न हो सके। लेकिन उक्त दोनों संगठनों के आला कमानो ने सन् 2010 तक रसीदे जमा नही की औऱ शिक्षक मतदाता सूची के अभाव मे चुनाव सम्पन्न नही हो सके। GSTA के चुनाव हो इसलिये तत्काल ईन GSTA ने शिक्षा निदेशक से आर. एन. शर्मा जी को R.O. नियुक्त करवाया। साल 2011 भी बीत गया। साल 2012 मे उपरोक्त R.O. सेवानिवृत हो गए औऱ एक बार फिर चुनावी प्रकिया शिथिल हो गई।
सन् 2013 मे तत्काल ईन GSTA (SFTC) के अध्यक्ष आदरणीय ओम सिंह जी व तत्काल ईन महासचिव श्री राजकिशोर शर्मा जी ने एक बार फिर शिक्षा निदेशक को पत्र लिखा कि GSTA के चुनाव को सम्पन्न कराने के लिए नए R.O. की नियुक्ति की जाये।SFTC के काफी प्रयासों के बाद दिसंबर,2013 मे नये R.O. की नियुक्ति हुई। 25 जनवरी, 2014 को जनरल हाउस की मीटिंग हुई औऱ चुनाव की तिथि 26 जुलाई,2014 घोषित कर दी गई।
भाईयों/बहनों, इस बार हर सूरत मे चुनाव कराने के उद्देश्य से SFTC ( तत्कालीन GSTA) ने ही 10-10 रुपए की पूरी दिल्ली के शिक्षकों की मेम्बरशिप खुद ही कर पूरी दिल्ली के शिक्षकों की मतदाता सूची तैयार कराई, ताकि चुनाव सम्पन्न हो जाये।
जुलाई,2014 के प्रथम सप्ताह मे चुनाव पूरे उफान पर था। इसी बीच एक शिक्षक नेता बहन नीता बहल ने चुनाव रद्द करवाने के उद्देश्य से तीस हजारी कोर्ट मे मुकदमा दाखिल कर दिया। कोर्ट की कार्रवाई मे तत्कालीन GSTA के अध्यक्ष आदरणीय ओम सिंह जी का बयान काफी महत्वपूर्ण था, जो चुनाव को प्रभावित कर सकता था। लेकिन आदरणीय ओम सिंह जी ने तीस हजारी कोर्ट मे जज के सामने बयान दिया कि,
"GSTA हमारी माँ समान है। लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए GSTA का चुनाव होना अत्यधिक आवश्यक है। यह चुनाव हर कीमत पर होने चाहिए। किसी भी सूरत मे यह चुनाव रद्द नहीं होना चाहिए।"
औऱ आदरणीय ओम सिंह जी के उपरोक्त बयान के आधार पर ही GSTA के चुनाव सम्पन्न हो सके।
कोर्ट की कार्रवाई मे आदरणीय ओम सिंह जी के बयान की महत्वपूर्ण भूमिका थी। उन्होंने कोर्ट मे जज के सामने बडे ही साहस के साथ बयान दिया कि,
" GSTA का चुनाव शिक्षक समाज के हितों से जुडा है। अतः हर कीमत पर यह चुनाव होने चाहिए। किसी भी सूरत मे यह चुनाव रद्द नही होने चाहिए।"
आदरणीय ओम सिंह जी के इसी बयान के आधार पर GSTA के चुनाव सम्पन्न हो पाये औऱ उन्होंने सेवानिवृति से पहले चुनाव कराकर शिक्षक धर्म का पालन किया है।
जय शिक्षक। जय दिल्ली।। जय भारत।।।
स्त्रोत : SFTC
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