5 स्कूल प्रिंसिपल्स को नौकरी से निकालने के निर्देश
- उप-मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने रविवार को लिया फैसला
- इन पर स्कूल फंड, स्टूडेंट वेलफेयर फंड, छात्रवृत्ति फंड, सैलरी व दाखिले में हेराफेरी के सबूत पाए गए हैं
स्कूल फंड, स्टूडेंट वेलफेयर फंड, छात्रवृत्ति फंड, सैलरी व दाखिले में हेराफेरी के सबूत पाए जाने पर दिल्ली सरकार ने 5 सरकारी स्कूलों के हेड ऑफ स्कूल्स को नौकरी से हटाने का निर्णय लिया है। शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने रविवार को इसके निर्दश दिए हैं।
पहला मामला निठारी स्थित गवर्नेमेंट ब्वॉयज सीनियर सेंकेडरी स्कूल के प्रिंसिपल अशोक कुमार सिंह का है जिन्होंने एससी-एसटी, ओबीसी, माइनॉरिटी, मेरिट स्कॉलरशिप और लाल बहादुर शास्त्री स्कीमों के तहत आने वाले छात्रवृत्ति के पैसे में करीब 30 लाख रुपये की हेराफेरी कर ली। वे छात्रों की स्कॉलरशिप और किताबों के लिए आया पैसा बैंक से निकालकर लगातार अपने पास रखते रहे। 2008 से 2013 के बीच की गई इन गड़बड़ियों के चलते शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने 49 दिन की सरकार के दौरान 31 जनवरी, 2014 को प्रिंसिपल को सस्पेंड भी किया था। बाद में मामले की जांच चली जिसके आधार पर जनवरी, 2016 में इस मामले में सख्त कार्रवाई के लिए सीवीसी से भी राय ली गई। सीवीसी से राय मिलने के बाद अब निर्णय लिया गया है कि अशोक कुमार सिंह के ऊपर मेजर पेनाल्टी की कार्रवाई करते हुए उन्हें नौकरी से निकालने की प्रक्रिया शुरू की जाए।
इसी प्रकार लाजपत नगर स्थित सर्वोदय बाल विद्यालय के प्रिंसिपल रहते हुए मुकेश चंद ने 11वीं की विज्ञान और कॉमर्स की क्लास में 12 छात्रों को फर्जी माक् र्सशीट के आधार पर एडमिशन दिया। उन्होंने न तो सीबीएसई की वेबसाइट से छात्रों की मार्क्सशीट के बारे में पता किया और न ही मामला संज्ञान में आने के बाद पुलिस में एफआईआर करवाई। मामले की जांच में पाया गया कि मुकेश चंद ने जानबूझकर ये गड़बड़ी की थी। शिक्षा मंत्री ने मुकेश कुमार को नौकरी से हटाने का निर्णय लिया है।
इसी तरह एक और मामले में रेलवे कॉलोनी तुगलकाबाद स्थित गवर्नमेंट ब्वॉयज स्कूल के प्रिंसिपल के पद पर कार्य करते हुए अशोक कुमार ने 10वीं में फेल छात्र को 11वीं में दाखिला दिया। मामले की जांच में पाया गया कि अशोक कुमार ने जानबूझकर ये गड़बड़ी की थी। अशोक कुमार को भी नौकरी से हटाने की प्रक्रिया शुरू की गई है।
हिरनकूदना स्थित को-एड स्कूल में प्रधानाचार्य रहते हुए हरिप्रसाद मीणा ने छात्र कल्याण फंड का पैसा निकालकर एक आईटी असिस्टेंट की जून महीने की सैलरी में दिखा दिया जबकि आईटी असिस्टेंट ने जुलाई के महीने में नौकरी ज्वाइन की थी। यह छात्रों के कल्याण के लिए फंड में सरासर धोखाधड़ी का मामला था। हरिप्रसाद मीणा पर मिड-डे मील के सर्विस प्रोवाइडर के सांठगांठ के सबूत भी पाए गए हैं। मिड-डे मील के सर्विस प्रोवाइडर के कर्मचारियों की जगह वे स्कूल के सफाई कर्मचारियों से खाना बंटवाते थे और इस तरह दोनों मिलकर खाना बांटने के लिए निर्धारित कर्मियों का पैसा गबन कर लेते थे। इन आरोपों के चलते हरि प्रसाद मीणा को भी नौकरी से हटाने का निर्णय लिया गया है।
एक अन्य मामले में, जंगपुरा के गवर्नमेंट ब्वायज स्कूल के विद्यालय प्रमुख रहते हुए ओम प्रकाश ने स्कूल की मैगजीन को छपवाने में धांधली की। उन्होंने मैगजीन, प्रिंटर को सप्लाई करने से काफी पहले ही पैसा जारी कर दिया और बीते वर्ष की मैगजीन के पन्नों को ही रि-प्रिंट दिखाकर मैगजीन बनाने की औपचारिकता पूरी कर ली। बीते वर्ष के एडिटोरियल, फोटोग्राफ्स और आर्टिकल्स को देखकर जब शिकायत सामने आई तो पूरे मामले का खुलासा हुआ। मामले को दबाने के लिए ओम प्रकाश ने मैगजीन के प्रिंटिंग बिल की तारीख में भी छेड़छाड़ की। मामले की गंभीरता को देखते हुए शिक्षा मंत्री ने ओम प्रकाश को भी नौकरी से हटाने का निर्णय लिया है।
Source : whatsapp
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